Friday, 16 December 2016

पडरौना : गरीबो को कम्बल वितरण।

पडरौना : गरीबो को कम्बल वितरण।

पडरौना के वर्त्तमान स्थिति को देखते हुए शिव - कुमारी देवी जी के
द्वारा कम्बल वितरण का आयोजन रखा गया है। पडरौना का वर्त्तमान
तापमान ५' डी. से. है जो जान जीवन को काफी प्रभावित कर रहा है।
इसमें उन लोगो के लिए जिनके पास ठण्ड से बचने के साधन नहीं है ,
यह कम्बल वास्तव में किसी वरदान से कम नहीं होगा।

Wednesday, 14 December 2016

बरहज : हिन्दू - मुस्लिम एकता को दर्शाता है यह गावँ।

हिन्दू - मुस्लिम एकता को दर्शाता है यह गावँ। 

पडरौना : कुबेरस्थान थाना - बरहज
मुहम्मद साहब के जन्मदिन के अवशर पडरौना का एक ऐसा गांव देखने को मिला जो 
हिन्दू- मुस्लिम एकता को दर्शाता है। कुबेरस्थान थाना में पड़ने वाला लोहिया ग्राम 
बरहज (बरवां ) जहा हिन्दू मुस्लिम मिल कर हर त्यौहार को बड़े हर्ष उल्लाश के साथ 
मनाते  है।
इस  गांव की आबादी २२०० के करीब है जिसमे से ३०% मुस्लिम समुदाय और ७० %
हिन्दू समुदाय के लोग रहते है।  और दोनों समुदायों के लोग आपस में मिलकर एक
दुशरे की खुशियो में सारिक होते है।

वास्तव में जिस हिंदुस्तान की कल्पना बापू ने की थी उसके दर्शन इशी गावँ में होते
है।

Friday, 9 December 2016

पडरौना : युवावो ने श्रधांजलि दी।

पडरौना : युवावो ने श्रधांजलि दी।

पडरौना सुबाष चौक पर पडरौना के कुछ क्षात्रो ने मिल कर उन लोगो को श्रधांजलि अर्पित की 
जिनका नॉट बंदी के प्रभाव से देहांत हो गया है।  छात्रों का कहना है की असंतुलित नीति के 
कारन ऐसी घटनाये हुई। 
नॉट बंदी को आज ३२ दिन हो गए और अभी तक बैंको की लानिओ में को कमी नहीं आयी 
पडरौना में वैसे तो गिनाने की लिए ४२ ए. टी. ऍम. है लेकिन इनमे से १०% ही खुले रहते है। 
स्थानीय लोगो का कहना है की पैसे  लेने के  लिए लानिओ में रोजाना लोग आ रहे है उनमे 
से २०% तो पैसे पा जा रहे है।  और ८०% बिना पैसे के चले जा रहे है। ऐसे में आने जाने में उनके 
पास बचे छूटे पैसे भी खर्च हो जा रहे है।  अब हालात ऐसे हो गए है की घर का खर्च चलाना भी 
मुश्किल हो गया है।
 

हमारी सरकार से अपील है की उन सहारो पर विशेष धयान देना चाहिए जिनके ऊपर सबसे 
अधिक जनता आश्रित है। पडरौना में केवल पैसे निकले के लिया १५-२० किलोमीटर से लोग 
आते है क्यों की इसके अलावा और उस इलाके में कोई   ए. टी. ऍम. ही नहीं है।  उदहारण के 
लिए तुर्कपट्टी , कुबेरस्थान , सिवपुर ये कसबे बिकसित होने के बाद भी यहाँ आज तक कोई 
आ.टी.म नही है।  और इनका एक मात्रा आश पडरौना शहर ही है। 

Thursday, 8 December 2016

सौ काशी = एक बांशी

सौ काशी = एक बांशी    . .... 

पडरौना का  एक छोटा सा कस्बा बांशी जिसके बारे में यहाँ एक कथन प्रचलित है ," सौ काशी , एक बांशी "
इसका मतलब ये होता है की, एक बार बांशी में स्नान करने का फल , सौ काशी (बनारस) के स्नान के बराबर
होता है।
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यह कहावत वैसे ही नहीं कही जाती है, जब इस प्रसिद्ध स्नान के बारे में जानने की कोसिस की
गयी तो पता चला की इसका भी संपर्क पवित्र हिन्दू ग्रन्थ रामायण से है।
बनवास काल के समय श्री राम , लक्ष्मण और माँ सीता यहाँ आये थे और कुछ समय व्यतीत करने के
बाद वे सूर्योदय के समय इसी बांशी नदी में स्नान करने के पश्चात यहाँ से निकले थे, श्री राम , लक्ष्मण और माँ सीता के स्नान के कारन यह नदी आज भी लोगो के कष्टो को समाप्त करती है।

इशी कारन पूर्णिमा के दौरान यहाँ नहान में शामिल होने के लिए पूर्वांचल के साथ साथ  बिहार व् अन्य राज्यो
से लोग रात को ही यहाँ आ जाते है।
https://www.youtube.com/channel/UCdJ0EicD1QsfvtMkySH_giw
इसके दौरान यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

वास्तव में यह दृश्य मनमोहक होता है।


Wednesday, 7 December 2016

Padrauna : कठकुइयां की कहानी

कठकुइयां की कहानी :-

80 के दसक का सबसे व्यस्त सहर कठकुइयां आज भी वैसे ही है , जैसा की 

१९८० में था।  एक समय था जब पडरौना का आधा से अधीक काम कठकुइयां में 

ही होता था।  ८० के दसक में क्षेत्र में रोजगार तथा शिक्षा पैदा करने में सबसे आगे 

रहने वाला ये सहर आज सायद कुशीनगर का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है।  इसका एक मात्रा कारन 

यहाँ की चीनी मील का बंद होना है।  एक समय था जब यह चीनी मील जोरो पर थी। 

आस पास का सारा गन्ना यही गिरता था। 

यह रोजगार का एक मुख्या साधन था।  लेकिन आज इसे बंद हुए ज़माने हो गए।
इसके बंद होने के साथ साथ ही यहाँ की विकाश भी बंद हो गया।  जो जैसा था उसी पर
रुका हुआ है।  वैसे तो चुनाओ के समय यह यहाँ के लोगो को लुभाने का एक मुख्या
मुद्दा होता है श्री नरेंद्र मोदी जी से लेकर अखिलेश यादव तक सबने इसका सहारा लेकर
जनता का खूब मज़ाक़ बनाया लेकिन चुनाव जितने के बाद आज तक किसी की नजर
इसपर नहीं पारी और आज उस मील की हालात कुछ इस तरह हो गयी है। .
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यहाँ की जनता आज भी इसी आश में है की काश ये मील चालू हो जाती।


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Tuesday, 6 December 2016

उदित नारायण इंटरमीडिएट कॉलेज

भारत का एक मात्रा बिद्यालय जिसकी रूप रेखा बिलकुल एक राजशी महल जैसी है। 

जी हाँ सही पढ़ा आपने हम बात कर रहे हैं उदित नारायण इंटरमीडिएट कॉलेज पडरौना की।  कुशीनगर जिले की रूप रेखा को दर्शाता हुआ एक सहर पडरौना जिसका
यू तो पूर्वांचल में विशिष्ठ स्थान है पर कुछ वर्षो से इसकी रफ़्तार थप सी हो गयी है.
इशी सहर में एक ऐसा विधायल है जो देखने में बिलकुल एक राजमहल की तरह है,
इस विद्यालय का संपर्क वास्तव में राजघराने से है, इस विद्यालय को कुँवर आर. पी. एन.
सिंह के दादा जी राजा उदित नारायण जी ने  अपने सासन काल में बनाया था।
इस विद्यालय का पूर्वांचल से लेकर बिहार के प्रारंभिक इलाको के युवावो को शिक्षित करने
में महत्व पूर्ण योगदान रहा है,


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