कठकुइयां की कहानी :-
80 के दसक का सबसे व्यस्त सहर कठकुइयां आज भी वैसे ही है , जैसा की
१९८० में था। एक समय था जब पडरौना का आधा से अधीक काम कठकुइयां में
ही होता था। ८० के दसक में क्षेत्र में रोजगार तथा शिक्षा पैदा करने में सबसे आगे
रहने वाला ये सहर आज सायद कुशीनगर का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है। इसका एक मात्रा कारन
यहाँ की चीनी मील का बंद होना है। एक समय था जब यह चीनी मील जोरो पर थी।
आस पास का सारा गन्ना यही गिरता था।
यह रोजगार का एक मुख्या साधन था। लेकिन आज इसे बंद हुए ज़माने हो गए।इसके बंद होने के साथ साथ ही यहाँ की विकाश भी बंद हो गया। जो जैसा था उसी पर
रुका हुआ है। वैसे तो चुनाओ के समय यह यहाँ के लोगो को लुभाने का एक मुख्या
मुद्दा होता है श्री नरेंद्र मोदी जी से लेकर अखिलेश यादव तक सबने इसका सहारा लेकर
जनता का खूब मज़ाक़ बनाया लेकिन चुनाव जितने के बाद आज तक किसी की नजर
इसपर नहीं पारी और आज उस मील की हालात कुछ इस तरह हो गयी है। .
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यहाँ की जनता आज भी इसी आश में है की काश ये मील चालू हो जाती।
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